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वरिष्ठ कांग्रेस नेता अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के निधन पर छत्तीसगढ़ शासन ने तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है। 21 दिसंबर से 23 दिसंबर तक राज्य में कोई भी सांस्कृतिक या मनोरंजन का कार्यक्रम नहीं होगा। वोरा का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
दुर्ग में शोक की लहर, कल होगा अंतिम संस्कार
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा के निधन की खबर सुनते ही गृह नगर दुर्ग में कांग्रेस नेताओं समेत शहर के नागरिक स्तब्ध रह गए। पद्मनाभपुर में स्थित वोरा निवास पर कांग्रेस नेताओं की भीड़ जुटने लगी। गणमान्य नागरिक भी पहुंचने लगे।
पूर्व विधायक प्रतिमा चंद्राकर, नगर निगम के सभापति राजेश यादव, महिला कांग्रेस अध्यक्ष अनीता तिवारी, नासिर खोखर, पूर्व महापौर आरएन वर्मा सहित बड़ी तादाद में कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता, संगठन पदाधिकारी वोरा निवास पहुंच गए। विधायक अरूण वोरा 14 दिसंबर से दिल्ली में हैं। परिवार के सभी सदस्य दिल्ली पहुंच चुके हैं।
विधायक अरूण वोरा के पुत्र सुमीत वोरा और दुर्ग के महापौर धीरज बाकलीवाल आज सुबह दिल्ली रवाना हुए। वोरा का अंतिम संस्कार कल दुर्ग स्थित शिवनाथ मुक्तिधाम में दोपहर 3 बजे किया जाएगा।
स्मृति शेष …
गांधी परिवार के बेहद विश्वासपात्र रहे मोतीलाल वोरा
कांग्रेस के कद्दावर नेता और मध्यप्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में निधन हो गया है। मोतीलाल वोरा गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे हैं। मोतीलाल वोरा ने उत्तरप्रदेश के राज्यपाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जैसे पदों का निर्वहन करने के साथ ही लंबे समय तक पार्टी के कोषाध्यक्ष का पद संभाला। छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद भी थे।
मोती लाल वोरा ने पत्रकारिता से करियर की शुरुआत की। 1968 में पहली बार पार्षद चुने गए। 1972 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और चुनाव जीत गए। बाद में अर्जुन सिंह की सरकार में उन्हें उच्च शिक्षा मंत्री बनाया गया।
पहली बार वे 13 मार्च 1985 से लेकर 13 फरवरी 1988 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। दोबारा वह 25 जनवरी 1989 को सीएम बने थे। इस बार उनका कार्यकाल ग्यारह महीने का रहा। 8 दिसंबर 1989 को इन्हें सीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।
एयरपोर्ट पर राजीव गांधी ने कहा था … आप एमपी के सीएम हैं
हुआ यह था कि 1985 विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद अर्जुन सिंह ने 9 मार्च 1985 को सीएम पद की शपथ ले ली। शपथ लेने के बाद 10 मार्च को वह राजीव गांधी के पास मंत्रिमंडल की सूची लेकर गए। लेकिन राजीव गांधी मध्यप्रदेश की राजनीति में अर्जुन सिंह को नहीं चाहते थे। उन्होंने 2 टूक शब्दों में कहा कि अपनी पसंद के सीएम का नाम बता कर 14 मार्च को पंजाब जाओ। इसी घटनाक्रम के बाद अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा का नाम सुझाया।
उसके बाद अर्जुन सिंह ने अपने बेटे को अजय सिंह को फोन किया था कि मोतीलाल वोरा को स्पेशल विमान से लेकर दिल्ली आ जाओ। स्पेशल विमान से अजय सिंह वोरा को लेकर दिल्ली रवाना हो गए। वोरा को कुछ समक्ष नहीं आ रहा था। उस समय रूस दौरे पर निकल रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से उनकी पालम एयरपोर्ट पर मुलाकात हुई। मोतीलाल वोरा को देखते ही राजीव गांधी ने उन्हें कह दिया कि आप मध्यप्रदेश के सीएम हैं। इस दौरान वहां अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह मौजूद थे। वोरा तीन साल तक मुख्यमंत्री रहे।
मोतीलाल वोरा के साथ दिग्विजय सिंह एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। वोरा कैबिनेट में ज्यादातर लोग अर्जुन सिंह खेमे से जुड़े थे। 3 साल बाद वनवास काट कर अर्जुन सिंह फिर से एमपी की राजनीति में सक्रिय हो गए। राजीव गांधी की सरकार में वे 14 फरवरी 1988 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बने। एक साल बाद 25 जनवरी 1989 को वे दोबारा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। करीब 11 माह तक वे सीएम रहे। बाद में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें 1993 में उत्तरप्रदेश का राज्यपाल बनाया। तीन साल तक उत्तरप्रदेश में राष्ट्रपति शासनकाल के दौरान राज्यपाल की हैसियत से यूपी की जनता के बीच वोरा काफी लोकप्रिय रहे। 1998 के लोकसभा चुनाव में वोरा को राजनांदगांव से टिकट दी गई और वोरा चुनाव जीत गए। इसके बाद वोरा को राज्यसभा सांसद बनाया गया। बाद में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष का ओहदा संभाला।