• छत्तीसगढ़ को केन्द्र से डिमांड की तुलना में सिर्फ 43.87 प्रतिशत उर्वरक की सप्लाई 
  • किसानों का पंजीयन एक ही पोर्टल में किया जाए

द सीजी न्यूज डॉट कॉम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की समीक्षा बैठक में मक्का किसानों के हित में एक बड़ा निर्णय लेते हुए सभी समितियों में खरीफ और रबी सीजन के मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीदी की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के ज्यादा मक्का उत्पादन वाले इलाकों में मक्के से एथेनॉल उत्पादन करने संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे मक्का किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य मिलेगा। रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

वर्तमान में चिन्हित समितियों में मक्के की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है। मक्के का उपयोग कुक्कुट आहार बनाने  और अवशेष का पशु चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने गन्ने से एथेनॉल उत्पादन के संयंत्रों की स्थापना की पहल करने के निर्देश भी दिए। बैठक में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, सहकारिता मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम, राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, खाद्य विभाग के सचिव टोपेश्वर वर्मा, विशेष सचिव सहकारिता हिमशिखर गुप्ता, राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के एम.डी. निरंजन दास, संचालक खाद्य किरण कौशल भी बैठक में उपस्थित थीं।
मुख्यमंत्री ने बैठक में रायगढ़ की बंद जूट मिल को पुनः शुरू कराने के लिए अधिकारियों को प्रयास करने कहा। मुख्यमंत्री ने बैठक में खरीफ सीजन के लिए खाद भण्डारण और विक्रय की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि केन्द्र से मांग की तुलना में रासायनिक उर्वरकों की काफी कम आपूर्ति की गई है। किसानों को खाद के लिए समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाए।

बैठक में जानकारी दी गई कि खरीफ 2021 के लिए राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार से मांग के विरूद्ध अब तक कुल 4.49 लाख मेट्रिक टन उर्वरक की आपूर्ति ही की गई है, जो कुल मांग का 43.87 प्रतिशत है। यूरिया के लिए 5.50 लाख मेट्रिक टन की मांग की गई थी, जिसके विरूद्ध मात्र 2.33 लाख मेट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग का 42.38 प्रतिशत है। इसी प्रकार डीएपी की 3.20 लाख मेट्रिक टन मांग के विरूद्ध 1.22 लाख मेट्रिक टन की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग का 38.40 प्रतिशत है।
इसी तरह एनपीके के लिए कुल 80 हजार मेट्रिक टन की मांग केन्द्र सरकार को प्रेषित की गई थी, जिसके विरूद्ध 49 हजार मेट्रिक टन की आपूर्ति की गई, जो कुल मांग का 61.57 प्रतिशत है। एमओपी के लिए 75 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध 44 हजार मेट्रिक टन की आपूर्ति की गई जो कुल मांग पर 59.24 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ को मांग अनुरूप उर्वरकों की आपूर्ति करने का आग्रह किया गया, लेकिन आपूर्ति नहीं की गई। अन्य प्रदेशों की तुलना में छत्तीसगढ़ को कुल आबंटन के विरूद्ध कम उर्वरकों की आपूर्ति की गई है। छत्तीसगढ़ का स्थान यूरिया के आबंटन में देश में 19वां, डीएपी में 15वां स्थान है।