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डाॅ भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय (मेकाहारा) के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डाॅ ओपी सुंदरानी ने कहा है कि हर कोविड पॉज़िटिव मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत नहीं होती है । इससे केवल मॉडरेटली सीवियर और सीवीयर कोविड मरीजों को लाभ हो सकता है। यह भी दावे से नहीं कह सकते कि रेमडेसिविर लगाने से मरीज ठीक हो जाएगा। इंजेक्शन न लगने पर ठीक नही होगा, यह धारणा भी गलत है। ऐसा किसी रिसर्च में प्रमाणित नही हुआ है।

डॉ. सुंदरानी ने कहा कि बिना रेमडेसिविर के भी बहुत मरीज़ ठीक होते हैं और रेमडेसिविर लगा कर भी कई मरीज ठीक नहीं हो पाते हैं। इसलिए इस इंजेक्शन को लेकर ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। इस दवाई से कुछ मरीजों में रिकवरी तेज हो जाती है, यह पता चला है। ऐसा कुछ ही मरीज़ों के साथ हुआ है। मरीज अपनी मर्जी से यह इंजेक्शन न लगाएं, बेहतर होगा कि इसे चिकित्सक के ऊपर छोड़ दें। डॉक्टर को जो बेहतर इलाज लगेगा, उसी अनुसार वे इलाज करेंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के सब रीजनल टीम लीडर (एनपीएसपी) डॉ प्रणीत फटाले का कहना है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग कोविड 19 के मरीजों पर कितना प्रभावी होता है और किन मरीजों पर इसका असर सकारात्मक होता है, इसका कोई प्रमाण नही मिला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कराए गए परीक्षण में यह पाया गया कि इस इंजेक्शन के उपयोग से मरीजों की मृत्यु दर, मैकेनिकल वेंटीलेशन, क्लिनिकल सुधार, अस्पताल में रूकने की अवधि आदि पर भी कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं दिखा है। उपलब्ध डाटा के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि यह मरीज की संपूर्ण स्थिति में सुधार लाता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी एक स्टडी के अनुसार कोविड-19 के उपचारों के सम्बंध में किए गए सबसे बड़े ट्रायल में भी रेमडेसिविर से बीमारी के दौरान या मृत्यु पर कोई परिमेय प्रभाव देखने नहीं मिला है।
केन्द्र शासन ने भी हाल ही में इस दवाई के अंधाधुध उपयोग पर चिंता जताई है और कहा कि डॉक्टरों को इसका उपयोग नेशनल कोविड प्रोटोकाल के अनुसार और केवल आक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों पर सोच-समझ कर करना चाहिए। यह एक इंवेस्टिगेशनल दवाई है।