• मुख्यमंत्री ने पूछा … और कोई मांग है,,, गीता ने सीएम को गांव आने का दिया न्यौता

द सीजी न्यूज डॉट कॉम

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गरियाबंद जिले की दिव्यांग बालिका कुमारी गीता को आज वर्चुअल रूप से मोटराईज्ड ट्रायसायकल की सौगात दी। मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छिदौली कमारपारा जनपद छुरा की रहने वाली 11 वर्षीय गीता से बड़ी आत्मीयता से बातचीत की और उसे स्कूल आने-जाने के लिए शासन की ओर से मोटराईज्ड ट्रायसायकल मिलने पर बधाई और शुभकामनाएं दी।
कक्षा 6वीं में अध्ययनरत गीता इस सौगात को पाकर बेहद खुश थी और उसने इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताया। मुख्यमंत्री ने गीता से बातचीत करते हुए कहा कि पैर के पंजे न होने पर भी आपने हिम्मत नहीं हारी और दोनों पैरों में पीने के पानी का गिलास का उपयोग कर उसे ही अपना पंजा बना लिया है। विपरीत परिस्थितियों में भी आपने हिम्मत नहीं हारी है और अपने हौसले के बल पर सामान्य बच्चियों के जैसा दैनिक जीवन के कार्यों के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखी है। मैं आपके हौसले की प्रशंसा करता हूं।

मुख्यमंत्री ने गीता से उसकी पढ़ाई-लिखाई, गांव से स्कूल की दूरी और पारिवारिक स्थिति के बारे में भी बातचीत की। सीएम ने बहुत स्नेहिल भाव से गीता से सवाल किया कि तुम्हारी कोई और इच्छा या मांग है क्या ? गीता ने मासूमियत से मुस्कुराकर छत्तीसगढ़ी में मुख्यमंत्री से कहा ‘मोर गांव आबे’। मुख्यमंत्री ने गीता के इस न्यौते को हंसते हुए स्वीकार करने के साथ ही कहा कि कोरोना संकट के बाद आएंगे। मुख्यमंत्री ने गीता को कहा कि किसी भी तरह की जरूरत होने पर वह कलेक्टर को अथवा उन्हें तुरंत बताएं। सरकार हर संभव मदद करेगी।

कलेक्टर नीलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने बताया कि दिव्यांग गीता के पैरों के पंजों की माप ले ली गई है। आठ-दस दिन में दोनों पैरों का कृत्रिम पंजा तैयार होकर आ जाएगा। जिसे गीता के पैरों में लगा दिया जाएगा। वर्चुअल कार्यक्रम में मौजूद समाज कल्याण विभाग की सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले ने बताया कि गीता को इससे पहले विभाग द्वारा हस्त चलित ट्रायसायकल दी गई थी, जिसे उसने जरूरतमंद अन्य दिव्यांग व्यक्ति को दे दिया। गीता की इच्छा अनुसार उसे आज 42 हजार रुपए लागत वाली बैटरी चलित तीन पहिया मोटराईज्ड सायकल दी गई है। फिजिकल रिफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर माना कैम्प रायपुर में पदस्थ विशेषज्ञों के दल ने कुमारी गीता के घर जाकर उसके पंजों का नाप लिया है। गीता के लिए कृत्रिम पंजे तैयार किए जा रहे हैं जिसकी लागत डेढ़ लाख रुपए है। इससे वह सभी प्रकार के कार्य कुशलता पूर्वक कर सकेंगी और अपने पैरों पर खड़ी हो सकेंगी।