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कांग्रेस सरकार के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने पर विधायक निवास का घेराव करने पहुंचे भाजयुमो पदाधिकारियों का दांव आज दुर्ग में उल्टा पड़ गया। वरिष्ठ कांग्रेस विधायक अरुण वोरा का निवास घेरने आए भाजयुमों कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बीच रास्ते मे ही रोक लिया था। इस दौरान नारेबाजी कर रहे भाजयुमो कार्यकर्ताओं के बीच खुद विधायक अरुण वोरा पैदल पहुंच गए।
वोरा ने भाजयुमो नेताओं को भूपेश सरकार की उपलब्धियां बताने के साथ ही सीधे सवाल किया कि केंद्र की मोदी सरकार के 7 साल के कार्यकाल की क्या उपलब्धियां रही। वोरा ने कहा कि भूपेश सरकार के ढाई वर्ष आम जनता के नाम रहे हैं। जन घोषणापत्र में जनता से किए गए 36 वादों में से 25 वादे महज ढाई वर्षों में पूरे कर दिए गए हैं। शपथ ग्रहण के 3 घंटों के भीतर किसानों की कर्ज माफी, पूरे देश मे राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से सर्वाधिक समर्थन मूल्य, बिजली बिल हाफ, आदिवासियों की जमीन वापसी, भू अधिकार वन अधिकार पट्टे, 1385 व्याख्याताओं के पदों पर भर्ती, 15 हजार से अधिक स्कूल शिक्षकों की भर्ती, गोधन न्याय योजना, कोरोना का सफलता पूर्वक नियंत्रण, महतारी दुलार योजना और अनुकंपा नियुक्ति के नियमों को शिथिल करने जैसे काम कांग्रेस की सरकार ने किये हैं।
शराबबंदी के वादे पर जवाब देते हुए वोरा ने कहा कि सरकार द्वारा सर्वदलीय समिति का गठन किया गया है जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार से छत्तीसगढ़ की जनता, गांव, गरीब, किसान, मजदूर, मध्यमवर्ग, उद्योग जगत पूरी तरह संतुष्ट है लेकिन केंद्र सरकार ने 7 साल में देश को 50 साल पीछे धकेल दिया है। नोटबन्दी, बिना तैयारी किए जीएसटी लागू करने से व्यापारियों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। महामारी नियंत्रण और वैक्सिनेशन में भी केंद्र सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है।
वोरा ने कहा कि पेट्रोल, डीजल, घरेलू गैस और खाद्य तेल के बढ़ते दामों ने मध्यम वर्ग के घर का बजट बिगाड़ दिया है। 2 करोड़ रोजगार और खातों में 15 लाख आना तो दूर देश की अर्थव्यवस्था इतिहास में अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि केंद्र को प्रदेश की भूपेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से सीख लेनी चाहिए।