द सीजी न्यूज डॉट कॉम
जिला एवं सत्र न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा दुर्ग के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में आज 22 जून को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार वर्मा, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद प्रकाश वरियाल और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुशील कुमार जायसवाल द्वारा पाटन, धमधा और दुर्ग ब्लॉक के शासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों को ऑनलाइन कानूनी जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि लोग घरों में बैठकर ज्यादातर समय इंटरनेट में बिता रहे हैं। बैंकिंग का काम भी ऑनलाइन ही हो रहा है।
ऐसे समय में कई हैकर्स एक्टिव होकर मौके का फायदा उठा रहे हैं और लोगों को अलग-अलग स्कीम के नाम पर या डोनेशन के नाम पर चूना लगा रहे हैं। कुछ लोग सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर ठगने का काम भी कर रहे हैं। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करते समय अलर्ट रहना चाहिये।
हाल ही में फर्जी फेसबुक अकाउंट से धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं। साइबर ठग फेसबुक का फर्जी अकाउंट खोलकर लोगों से चैटिंग कर रहे हैं और यह काम इतनी होशियारी से किया जा रहा है कि यूजर्स को खबर तक नहीं लग पाती है कि उसके फर्जी खाते का इस्तेमाल किया जा रहा है।
साइबर ठग सबसे पहले आपके प्रोफाइल से आपका फोटो डाउनलोड कर आपके नाम से फेक अकाउंट बनाकर आपके फ्रेंड को रिक्वेस्ट भेजता है। जैसे ही फ्रेंड रिक्वेस्ट को आपका फेसबुक फ्रेंड मंजूर करता है, आपके फ्रेंड से डोनेशन के नाम पर पैसे मांगा जाता है। ये साइबर ठग अपनी बातों में लोगों को उलझाते हैं। लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। फिर वॉलेट से पैसा मांग जाता है। कुछ ऐसे भी मामले आए हैं जिनमें साइबर ठग लोगों को विश्वास में लेकर उनके वॉलेट की जानकारी मांगते हैं और फिर उसे खाली कर देते हैं। इस बारे में अलर्ट भी किया है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय बेहद अलर्ट रहें और किसी डोनेशन के मेल या रिक्वेस्ट पर ध्यान न दें। सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड बदलते रहें। अपने सोशल अकाउंट की प्राइवेसी को बदलते रहें।अपनी फ्रेंड लिस्ट को प्राइवेट रखें। अपने सोशल मीडिया अकाउंट को पब्लिक न करें।
संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। इंटरनेट और सोशल मीडिया ने इसे प्रोत्साहित करने में अहम रोल निभाया है। अगर किसी पोस्ट पर या फिर किसी पोस्ट को शेयर करने से किसी की भावना आहत होती है या दो समुदायों के बीच नफरत पैदा होती हैए तो आपको जेल जाना पड़ सकता है। इसके तहत अगर आप फेसबुक, ट्विटर, टिक टॉक, शेयर चैट, यूट्यूब समेत अन्य सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का आपत्तिजनक, भड़काऊ या फिर अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत पैदा करने वाला पोस्ट, वीडियो या फिर तस्वीर शेयर करते हैं, तो आपको जेल जाना पड़ सकता है।
इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक पोस्ट करता है या फिर शेयर करता हैए तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई टिक टॉक, शेयर चैट, फेसबुक और ट्विटर समेत किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर पर पोस्ट करके अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश करता हैए तो उसके खिलाफ आईटी की धारा 67 के तहत कार्रवाई की जाती है।