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नगर निगम दुर्ग की पिछली परिषद में कुल 116 बैंक अकाउंट खोले गए हैं। इन अकाउंट में कुल 77 करोड़ रुपए जमा हैं। विधायक अरुण वोरा ने कहा है कि गैरजरूरी बैंक अकाउंट को तत्काल बंद करना चाहिये। छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन विभाग से अनुमति लेकर बैंकों में जमा 77 करोड़ रुपए जनहित के विकास कार्यों में खर्च किये जाएंगे।
वोरा ने कहा कि दुर्ग शहर में विकास कार्य कराने राज्य सरकार से राशि मिली है। ठगड़ा बांध का सौंदर्यीकरण 14 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। इसके अलावा सड़क, नाली, पुलिया आदि के निर्माण कार्य भी चल रहे हैं। भविष्य में विकास कार्यों के लिए और राशि स्वीकृत कराई जाएगी। नगर निगम को मिली राशि से समयसीमा के भीतर विकास कार्य कराए जाएं। सभी विकास कार्यों में गुणवत्ता का ध्यान रखा जाना जरूरी है।
सामान्य सभा में प्रश्न के जवाब में मिली इतने ज्यादा अकाउंट की जानकारी
एल्डरमेन राजेश शर्मा में पिछली सामान्य सभा के दौरान इस संबंध में सवाल किया था। इस प्रश्न के लिखित जवाब से पता चला कि नगर निगम के कुल 115 अकाउंट हैं। राजेश शर्मा ने बताया कि पिछली परिषद के कार्यकाल में बैंक अकाउंट खोलने की होड़ मची थी। अमृत मिशन योजना के लिए एक ही बैंक में 31 खाते खोले गए है। इनमें से 8 अकाउंट में फूटी कौड़ी भी जमा नहीं है। पांच अकाउंट ऐसे है जिनमें 1 से 13 करोड़ रुपए जमा हैं। निगम मद के लिए 7 अकाउंट खोले गए हैं। 45 खाते ऐसे हैं जिसमें मद का जिक्र नहीं है।
राजेन्द्र पार्क चौक के पास स्थित एचडीएफसी बैंक में निगम के 13 खाते, एक्सिस बैंक में 12, एचडीएफसी बैंक चौहान स्टेट सुपेला में 3, आईसीआईसीआई बैंक राजेन्द्र पार्क चौक में 3, इलाहाबाद बैंक में 6, ओबीसी में 4, पीएनबी में 2, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेन्ट्रल बैंक, बंधन बैंक, स्टेट बैंक, यूनियन बैंक, यूको बैंक, इण्डस इण्ड बैंक सुपेला, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, केनरा बैक, छग राज्य ग्रामीण बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में अकाउंट खोले गए हैं। इतने अकाउंट खोलने की आवश्यकता क्यों पड़ी।
राजेश ने बताया कि प्रश्न के जवाब से पता चला कि 30 जुलाई 2021 की स्थिति में बैंको की एक ही ब्रांच में 10 से 30 खाते हैं। निगम के खजाने में 77 करोड़ 55 लाख 46 हजार 298 रुपए जमा हैं। नगर निगम दुर्ग की लेखा शाखा का कामकाज हमेशा से निशाने पर रहा है। सांसद व विधायक के विकास निधि के मदों का संधारण न होने से इस विभाग के कामकाज पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। एक मद के कार्य का भुगतान अन्य दूसरे मद से किए जाने की भी शिकायत मिलती रही हैं।