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प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ को समृद्ध बनाने के लिए गांवों को समृद्ध बनाना होगा। ग्रामीणों, किसानों, मजदूरों की स्थिति बेहतर बनाने के साथ ही लोककला और संस्कृति को संरक्षित करना होगा। हमारी सरकार ग्रामीण व्यवस्था को मजबूत कर रही है। गांधीवादी विचारों और ग्रामीण व्यवस्था के सशक्त प्रतिनिधि स्व. देवी प्रसाद चौबे के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने निवास कार्यालय में लोक जागरण पत्रिका की ओर से स्व. देवी प्रसाद चौबे की स्मृति में आयोजित 21 वें वसुंधरा सम्मान समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। समारोह का आयोजन संस्कृति विभाग और श्री चतुर्भुज मेमोरियल फाउंडेशन के सहयोग से किया गया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार व पत्रकार सतीश जायसवाल को प्रशस्ति पत्र, शाल व श्रीफल भेंट कर 21 वें वसुंधरा सम्मान से सम्मानित किया। उन्होंने समारोह में लोक जागरण की मासिक पत्रिका ‘वसुंधरा’ के 58 वें और कला, साहित्य, संस्कृति की मासिक पत्रिका ‘बहुमत’ के 109वें अंक का लोकार्पण भी किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि स्व. देवी प्रसाद चौबे वैचारिक रूप से दृढ़ और धार्मिक व्यक्ति थे। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों विशेषकर देउरगांव स्थित महामाया मंदिर में बलि प्रथा की रोकथाम में अग्रणी भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि गांवों में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ सरकार प्रयासरत है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से लोगों का खेती-किसानी और गांव के प्रति रूझान बढ़ा है। दो-ढाई सालों में किसानों की संख्या 15 लाख से बढ़कर 22 लाख और खेती का रकबा 22 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 27 लाख हेक्टेयर हो गया है। ग्रामीण अंचल के भूमिहीन परिवारों की मदद के लिए राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के जरिए 6 हजार रु की वार्षिक मदद दी जाएगी। गोधन न्याय योजना सेे पशुपालन और डेयरी को बढ़ावा मिल रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तेन्दूपत्ता संग्रहण दर में बढ़ोतरी और 52 लघु वनोपजों की खरीदी से वनांचल में लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि साहित्कार सतीश जायसवाल को वसुंधरा सम्मान के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी। समारोह के मुख्य वक्ता डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान दौर में सूचनाओं की सत्यता और विश्वसनीयता एक बड़ी चुनौती है। सोशल मीडिया में गलत तथ्य प्रचारित किए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में पत्रकारिता प्रतिष्ठानों की यह जिम्मेदारी है कि वह सच्ची खबरें और सोशल मीडिया में चल रही खबरों की सच्चाई बताए। कार्यक्रम को वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैय्यर ने भी सम्बोधित किया।

पत्रकार व साहित्यकार सतीश जायसवाल ने कहा कि भारतीय लेखन में साहित्य और पत्रकारिता साथ साथ चली है। वसुंधरा सम्मान दोनों धाराओं को साथ लेकर चल रहा है। उन्होंने ग्रामीण व्यवस्था, संस्कृति, लोककला को पुर्नजीवित करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना की। समारोह में स्व. देवीप्रसाद चौबे के पुत्र प्रदीप चौबे और कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे, महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्त निगम की उपाध्यक्ष नीता लोधी, छत्तीसगढ़ राज्य बुनकर सहकारी संघ के अध्यक्ष मोतीलाल देवांगन, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री राजेंद्र साहू, पूर्व साडाध्यक्ष लक्ष्मण चंद्राकर, रत्नाकर राव, आरएन वर्मा, वसुंधरा सम्मान के संयोजक विनोद मिश्र, आयोजन समिति के अध्यक्ष अरुण श्रीवास्तव उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डी.एन.शर्मा ने किया। गौरतलब है कि वर्ष 2001 से निरंतर जारी वसुंधरा सम्मान अब तक वरिष्ठ पत्रकारों और साहित्यकारों को मिल चुका है।  पूर्व में रमेश नैयर, कुमार साहू, श्यामलाल चतुर्वेदी, बसंत कुमार तिवारी, बबन प्रसाद मिश्र, दिवाकर मुक्तिबोध, आशा शुक्ला, शरद कोठारी, गिरिजा शंकर, हिमांशु द्विवेदी, विनोद शंकर शुक्ल, ज्ञान अवस्थी, श्याम वेताल, अभय किशोर, गिरीश पंकज, सुशील त्रिवेदी, बी. के. एस. रे, प्रकाश दुबे, तुषार कांति बोस, ई. वी. मुरली को प्रदान किया जा चुका है।