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आज दुर्ग के जन नायक का जन्मदिन है … सुबह से वोरा निवास में बधाई देने वालों का तांता लगा

द सीजी न्यूज डॉट कॉम

आज एक कर्मयोगी का जन्मदिन है … एक जन नायक का जन्मदिन है … स्टेट वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के चेयरमेन और दुर्ग के विधायक अरूण वोरा का जन्मदिन है … एक ऐसे शख्स का जन्मदिन … जिन्होंने पिछले 30 बरस से ज्यादा वक्त केवल दुर्ग शहर के नागरिकों की सतत सेवा में बिताए हैं। एक सीधे-सरल और सच्चे जनप्रतिनिधि … जिनके लिए सुबह से रात तक सिर्फ और केवल सिर्फ दुर्ग शहर की जनता की सेवा करना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उनकी जबर्दस्त सेवा भावना का ही नतीजा है कि तीसरी बार विधायक पद पर चुने गए वोरा की पहचान अब विधायक से ज्यादा “जननायक” के रूप में बन चुकी है।

वोरा एक ऐसे जन नायक हैं … जिनके लिए आम जनता का सुख-दुख सबसे ज्यादा मायने रखता है। एक ऐसी शख्सियत … जिनकी एकमात्र ललक दुर्ग शहर को समग्र विकास के पथ पर बढ़ते देखना है। वोरा एक ऐसे विधायक हैं … जो अपने शहर को चमकते-दमकते और स्मार्ट सिटी बनाने की इच्छाशक्ति रखते हैं। एक ऐसे जनप्रतिनिधि हैं … जो दुर्ग शहर और शहरवासियों के विकास के लिए हमेशा चिंतन-मनन करने के साथ केंद्र व राज्य स्तर पर लगातार पहल करते रहते हैं। विधायक अरूण वोरा की इसी कार्यशैली के कारण आम जनता ने भी उनके साथ अपनेपन का रिश्ता जोड़ लिया है।

अरूण वोरा की जनसेवा की भावना को जानने-समझने के लिए समयकाल का पहिया थोड़ा पीछे घुमाते हैं। 1989-90 का समयकाल … उस समय अरूण वोरा दुर्ग शहर युवक कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। उस दौर में पूरे देश में युवक कांग्रेस संगठन और इसके नेताओं, पदाधिकारियों की छवि बेहद सक्रिय, बेहद आक्रामक और तेजतर्रार हुआ करती थी। आप आश्चर्य करेंगे … आक्रामक संगठन का हिस्सा बनने के बावजूद अरूण वोरा ने तेजतर्रार राजनीति नहीं की बल्कि अपने पिता मोतीलाल वोरा की नसीहत पर चलते हुए सादगी से जनसेवा की नजीर पेश की।

एक ऐसी नजीर … जिसकी चर्चा भोपाल से लेकर दिल्ली तक होने लगी। शहर युवक कांग्रेस अध्यक्ष अरूण वोरा के कार्यों की चर्चा युवक कांग्रेस की राष्ट्रीय स्तर की बैठकों में होने लगी। उस दौर में वोरा ने दुर्ग शहर युवक कांग्रेस का ढांचा ही बदल दिया। रोज सुबह 9 बजे से अरूण वोरा अपनी टीम के साथ दुर्ग शहर के हर वार्ड की एक-एक गलियों में घूम-घूम कर समस्याओं का जायजा लेते। जनता की मूलभूत समस्याओं को रजिस्टर में दर्ज किया जाता। दोपहर बाद से सड़क-नाली-पेयजल-प्रकाश व्यवस्था सहित हरेक समस्या का निराकरण करने वोरा अपनी टीम के साथ जुट जाते।

बाद में अरूण वोरा ने विधायनसभा चुनाव लड़ा और चुनाव जीत गए। पांच साल तक लगातार सक्रिय रहकर विकास कार्य कराते रहे। शहर की जनता से आत्मीय रिश्ते बनाते रहे। कांग्रेस में जबर्दस्त भीतरघात और दुष्प्रचार तंत्र के हावी होने से अगले दो चुनाव वोरा हार गए लेकिन आम जनता के साथ उनका व्यवहार और शहर के विकास की उनकी चाह में कोई कमी नहीं आई। अब वोरा तीसरी बार विधायक पद पर निर्वाचित हुए हैं। तीन दशकों में वोरा कभी थके नहीं … कभी रुके नहीं … कभी थमे नहीं …उनकी जनसेवा का मिशन 30 साल पहले भी जारी था … आज भी जारी है …

मौजूदा दौर में वोरा की जनसेवा के जज्बे की एक मिसाल देखिये … कोरोना संकटकाल में जब तमाम जनप्रतिनिधियों के घर के दरवाजे लगभग बंद थे … उस दौरान वोरा कभी भी आम जनता से विमुख नहीं हुए। उनके घर के दरवाजे आम जनता के लिए कभी बंद नहीं हुए। मेडिकल आफिसरों, वरिष्ठ अफसरों की समझाईश के बावजूद … संक्रमण के खतरे के बावजूद … हर दिन सावधानी बरतते हुए लोगों की समस्या सुनना, शहर में सेनिटाइजेशन अभियान से लेकर जरूरतमंद लोगों को राहत देने भोजन का इंतजाम करना, अस्पतालों में कोरोना संक्रमित लोगों को बेहतर इलाज की सुविधा देने रोज कई-कई घंटो तक फोन पर डाक्टरों, अफसरों समेत पूरे सिस्टम से जूझना वोरा की रूटीन का हिस्सा रहा। आम जनता को संक्रमण से बचाने के लिए लगातार फिक्रमंद रहकर हेल्थ सिस्टम को लगातार सुधारने की कोशिशें करते रहे वोरा।

जनता के सच्चे हितैषी और सच्चे जननायक अरूण वोरा की सेवा भावना को सलाम …

जन-भावनाओं का सम्मान करते हुए शहर का सतत विकास करने उनके जज्बे को सलाम …

आज आपके जन्मदिन पर …  हम सब शहरवासियों की ओर से हार्दिक बधाई … आप यशस्वी हों … चिरायु हों … आप शहरवासियों की उम्मीदों के अनुरूप विकास के जीते-जागते प्रतीक बनें … आपको ढेर सारी दुआएं …स्नेह भरी शुभकामनाएं  …

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