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अखबारों में छप रहा है कि राजनीति का मोती चला गया … मेरा तो जैसे सब कुछ खो गया – धीरज बाकलीवाल

  • बाबूजी अनंत यात्रा पर चले गए, बस यादें रह गई …
  • उनके जैसे राजनीतिक संत सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं …

( दिग्गज कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा से जुड़ी यादें …महापौर धीरज बाकलीवाल के शब्दों में …)  

 द सीजी न्यूज डॉट कॉम

बाबूजी इस दुनिया को छोड़कर चले गए … अखबारों में छपा है कि राजनीति का मोती चला गया … कांग्रेस का मोती चला गया … लेकिन मेरा तो … सब कुछ खो गया … सब कुछ चला गया … मुझे हुई क्षति को दुनिया का कोई पैमाना नहीं नाप सकता।
बाबूजी मेरे लिए मानो भगवान का रूप थे। मैंने उनके साथ इतना समय बिताया है … उनसे इतनी बातें सीखी हैं … आज उनके जाने के बाद मुझे उनके साथ बिताया गया एक-एक पल याद आ रहा है … एक-एक नसीहत याद आ रही है … वो छोटी छोटी बातें सिखाते थे … आज जब बाबूजी के साथ बिताए गए पलों को याद कर रहा हूं … तो बार-बार आंखे नम हो रही हैं …
अभी 5 दिसंबर को बाबूजी से मिलने दिल्ली गया था। 9 दिसंबर तक उनके साथ रहा। 5 मिनट के लिए भी घर से बाहर जाता तो कहते कि धीरज को बुलाओ। बातचीत के दौरान वे हमारे परिवार के एक-एक सदस्य के बारे में पूछते। परिवार के हर सदस्य की फिक्र करते। सवाल करते थे कि किसी को कोई परेशानी तो नहीं … परिवार के सभी सदस्यों के बारे में पूछते कि वो अभी क्या कर रहे हैं। भोजन का समय होने बुलाते और कहते कि धीरज … खाना खाओ … ये सब्जी भी टेस्ट करो… मीठा खाओ … उनका स्नेह भरा व्यवहार … उनकी आत्मीयता, स्नेह, प्रेम … कभी नहीं भूल पाऊंगा बाबूजी को …

दिग्गज नेताओं के सामने कहते – ये परिवार का सदस्य है

दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में बाबूजी से प्रमुख नेताओं की मुलाकात के दौरान कई बार मैं मौजूद रहता। प्रमुख हस्तियां जब कभी अलग से एकांत चर्चा करना चाहते तो बाबूजी कह देते कि धीरज घर का सदस्य है। ये हमारे परिवार का ही मेंबर है। दरअसल बाबूजी ने कभी एहसास नहीं होने दिया कि हमारा परिवार उनसे अलग हैं … आज बाबूजी हम सबको छोड़कर चले गए हैं … हमारे परिवार के एक-एक सदस्य को यही महसूस हो रहा है कि मानो हमारा सब कुछ चला गया है … हमारे रिश्ते राजनीतिक नहीं थे … पारिवारिक रिश्ते थे …

हर साल दिवाली पर काली मंदिर में पूजा के बाद घर जरूर आते थे

बाबूजी हर साल दिवाली के अवसर पर जब दुर्ग आते तो इंदिरा मार्केट स्थित काली मंदिर में पूजा अर्चना करने जाते। पूजा के बाद सीधे हटरी बाजार स्थित हमारे घर जरूर आते थे। परिवार के सभी सदस्यों के साथ बेहद आत्मीयता से बातचीत करते। इतनी बड़ी राजनीतिक हस्ती होने के बावजूद बाबूजी का स्नेह भाव, प्रेम और आत्मीयता के साथ आशीर्वाद … यह रिश्ता हमारे लिए कितना अनमोल था …यह बता पाना नामुमकिन है …

भोपाल में व्यस्तता के बावजूद साथ बैठकर बातें करते

अविभाजित मध्यप्रदेश में बाबूजी ने केबिनेट मंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री का ओहदा संभाला। उस समय हर दो-तीन माह में बड़े भाई प्रकाश बाकलीवाल के साथ बाबूजी से मिलने जाता था। वहां भी बाबूजी उसी आत्मीयता से मिलते थे। देश की दिग्गज हस्तियों के साथ तस्वीरों वाला एलबम मंगाकर राजीव गांधी, अमिताभ बच्चन सहित अन्य बड़ी हस्तियों के साथ अलग-अलग स्थानों पर ली गई तस्वीरें दिखाते थे। एकदम पारिवारिक माहौल में बातचीत करते। हम अक्सर हैरत में पड़ जाते … इतनी दिग्गज हस्ती और इतनी आत्मीयता … सचमुच … बाबूजी का व्यक्तित्व अद्भुत था … हमेशा सोचता हूं कि कोई दिग्गज व्यक्ति इतना विनम्र कैसे हो सकता है?

हमेशा नसीहत देते थे बाबूजी

जब मैंने दिसंबर 2019 में पार्षद चुनाव लड़ा तब बाबूजी ने कहा – पहला चुनाव हर हाल में जीतना है। जमकर चुनाव लड़ो और जीतो। जब महापौर बन गया तब उन्होंने मुझे समझाया कि पूरी जिम्मेदारी के साथ दुर्ग का विकास करो। बाबूजी राजनीति के साथ-साथ जिंदगी से जुड़ी छोटी-छोटी बातों को समझाते। दुर्ग शहर के एक-एक वार्ड के बारे में उन्हें आज भी ढेर सारी जानकारियां हैं। पुराने लोग याद थे। दो-तीन दशक पहले चुने गए वार्ड पार्षदों की बातें भी शेयर करते रहते थे। बाबूजी की एक खास बात ये रही कि जब भी कोई पुरानी बातें याद करते तो नसीहत जरूर देते।

हमेशा विनम्र रहकर जनसेवा का सबक सिखाया 

बाबूजी हमेशा कहते थे कि महापौर बन गए हो, अब तुम्हारी जिम्मेदारी बढ़ गई है। शहर के लोगों से हमेशा अच्छे से मिलो। गरीबों से हमेशा बहुत अच्छा व्यवहार करने की नसीहत देते। गरीबों की परेशानी दूर करने की सीख देते रहते। बाबूजी कहते थे कि आम जनता से ये कभी मत कहना कि अभी नहीं मिल पाऊंगा या ये काम नहीं कर पाऊंगा  सबसे अच्छा व्यवहार रखने और लोगों की समस्या सुलझाने का सबक सिखाते। वे कहते थे कि हमेशा लोगों के फोन जरूर रिसीव करो। बेवजह कोई फोन नहीं करता। जब लोगों की जरूरत होती है या कोई काम होता है, तभी लोग फोन करते हैं। बाबूजी हमेशा विनम्र रहकर जनसेवा करने की नसीहत देते थे।

गुस्सा करना तो दूर, कभी नाराज होते भी नहीं देखा

भोजन के दौरान बाबूजी कभी भी राजनीतिक बातें नहीं करते थे, वे हमेशा पारिवारिक बातें करते। खास बात यह थी कि वे हमेशा पॉजिटिव बातें करते थे। ये उनका अद्भुत गुण था। कभी गुस्सा होना तो दूर, किसी से नाराज भी नहीं होते थे। हमेशा समझाते थे कि ऐसा करना चाहिए। किसी तरह की गलती हो जाए तो गुस्सा होने की बजाय कहते थे कि इस काम को इस तरह नहीं करना था।

सोनिया गांधी से मिलवाया – ऑल बाकलीवाल

एक बार जयंती स्टेडियम में सोनिया गांधी की सभा होने वाली थी। हमारे परिवार के सदस्यों ने बाबूजी से कहा कि हम लोग आज तक सोनिया गांधी से नहीं मिले हैं। बाबूजी ने हमारे परिवार के 7 लोगों के स्पेशल पास बनवा दिए। बाद में उन्होंने हम सबको सोनिया गांधी से मिलवाया। सोनिया गांधी से हम सबका परिचय कराते हुए कहा कि ऑल बाकलीवाल फैमिली … हमारे परिवार के प्रति उनका स्नेह इतना ज्यादा था कि वे हमारे परिवार की हर छोटी बातों का ध्यान रखते थे।
आज बाबूजी हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका आशीर्वाद, उनकी नसीहत और उनके आदर्श हमारे साथ हैं और हमेशा रहेंगे। बाबूजी के आदर्शों पर चलना ही बाबूजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। बाबूजी की शख्सियत से आने वाली पीढ़ियों को सबक सीखने का मौका मिलता रहेगा। ऐसे राजनीतिक संत सदियों में एक ही बार पैदा होते हैं। बाबूजी को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि …

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