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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर जिला प्रशासन को सामुदायिक विकास बाड़ी कार्यक्रम के तहत लेमनग्रास की खेती के साथ-साथ पिपरमेंट की खेती को भी बढ़ावा देने कहा है, ताकि किसानों को और ज्यादा लाभ हो सके। मुख्यमंत्री आज बस्तर, बीजापुर, सुकमा जिले में 642 करोड़ की लागत वाले कार्यों के लोकार्पण और भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान बस्तर जिले में पपीता व एरोमेटिक की सामुदायिक खेती करने वाले स्व-सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा कर रहे थे।
बस्तर जिले के बकावंड के ढोढ़रेपाल में औषधीय उत्पादक महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 50 एकड़ में लेमनग्रास की खेती की तैयारी की जा रही है। समूह की सदस्य मनमति गोयल ने बताया कि उनके समूह में 20 सदस्य हैं। उनके समूह द्वारा लीची की खेती भी की जाएगी। लेमनग्रास का एक बार रोपण करना पड़ता है। ग्रास की पर्याप्त ऊंचाई के बाद इसकी पत्तियां जड़ के ऊपरी हिस्से से काट ली जाती है और उसके आसवन से लेमन आयल प्राप्त होता है। इसकी मार्केट में कीमत इस समय एक हजार रूपए प्रति लीटर है।
लेमनग्रास की कटाई के बाद फिर से पत्तियां निकलना शुरू हो जाता है। कुछ महीने बाद फिर से कटाई के लायक हो जाती हैं। यह प्रक्रिया 5 वर्ष तक चलती रहती है। एक बार लेमनग्रास लगा देने से उससे 5 साल तक उत्पादन प्राप्त होता है। प्रति एकड़ उत्पादित लेमनग्रास के आसवन से प्रथम वर्ष 70-80 लीटर तेल प्राप्त होता है, जबकि प्रति एकड़ के मान से दूसरे से 5वें वर्ष तक इसकी पत्तियां के आसवन से 85-90 लीटर तेल मिलता है। पांच वर्ष में लेमनग्रास से आयल निकालकर प्रति एकड़ लगभग 4 लाख रूपए की आय अर्जित की जा सकती है।
मुख्यमंत्री ने बकावंड में पीपरमेंट की खेती को बढ़ावा देने के साथ ही लेमनग्रास की प्रोसेसिंग के लिए प्लांट लगाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर बस्तर अंचल के जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में मार्केटिंग के लिए स्थानीय किसान, समिति और सनएग्रो के मध्य एमओयू किया गया।