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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कैबिनेट मीटिंग में राज्य में मछली पालन को कृषि का दर्जा देने के बाद मछुआरों को मत्स्य पालन के लिए किसानों के समान ब्याज रहित ऋण सुविधा मिलेगी। जलकर और विद्युत शुल्क में भी छूट का लाभ मिलेगा। इससे राज्य में मछली पालन को बढ़ावा मिलने के साथ ही इससे जुड़े 2 लाख 20 हजार लोगों की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक बदलाव आएगा।

राज्य में बीते ढाई सालों में छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों से मछली पालन के क्षेत्र में लगातार वृद्धि हुई है। मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में 13 प्रतिशत और मत्स्य उत्पादन में 9 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। कृषि का दर्जा मिलने से मत्स्य पालन के क्षेत्र में राज्य अब और तेजी से आगे बढ़ेगा। छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन के लिए अभी मछुआरों को एक प्रतिशत ब्याज पर एक लाख तक और 3 प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम 3 लाख रुपए तक ऋण मिलता था। कृषि का दर्जा मिलने से अब मत्स्य पालन से जुड़े लोग सहकारी समितियों से अब अपनी जरूरत के अनुसार शून्य प्रतिशत ब्याज पर सहजता से ऋण प्राप्त कर सकेंगे। किसानों की भांति अब मत्स्य पालकों और मछुआरों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलेगी।

राज्य में मछली पालन के लिए मत्स्य कृषकों और मछुआरों को प्रति 10 हजार घन फीट पानी के बदले 4 रूपए का शुल्क अदा करना पड़ता था, जो अब उन्हें फ्री में मिलेगा। मत्स्य पालक कृषकों और मछुआरों को प्रति यूनिट 4.40 रुपए की दर से बिजली शुल्क भी अदा नहीं करना होगा। इस फैसले से मत्स्य उत्पादन की लागत में प्रति किलो लगभग 10 रुपए की कमी आएगी, जिसका सीधा लाभ मत्स्य पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों को मिलेगा। उनकी आमदनी में इजाफा होगा और उनकी माली हालत बेहतर होगी। छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य बीज उत्पादन और मत्स्य उत्पादन में देश में छठवें स्थान पर है। मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से राज्य 6 वें पायदान से ऊपर उठेगा, ऐसी संभावनाएं जताई जा रही है।