द सीजी न्यूज डॉट कॉम
दुर्ग शहर में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक और बड़ी सौगात की आज शुरुआत हो गई। दुर्ग नगर निगम के नलघर कॉम्पलेक्स की दूसरी मंजिल पर सिटी डायग्नोस्टिक सेंटर खोला जाएगा। यहां मरीजों की जांच के लिये सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। सेकंड फ्लोर में बनने वाले सिटी डायग्नोस्टिक सेंटर तक मरीजों को पहुंचाने के लिये यहां रैंप निर्माण किया जाएगा। विधायक अरुण वोरा ने आज करीब 35 लाख रुपए की लागत से रैंप निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया।
वोरा ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हर शहर में सिटी डायग्नोस्टिक सेंटर खोलने की घोषणा की है। आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिये नलघर कॉम्पलेक्स के सेकंड फ्लोर में सेंटर खोला जाएगा। इससे मरीजों को सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्सरे, ब्लड टेस्ट सहित अन्य जांच की सुविधाएं बेहद सस्ती दर पर मिलेगी। नगर निगम के कॉम्पलेक्स का उपयोग मरीजों को चिकित्सा सुविधा देने में किया जाएगा।
महापौर धीरज बाकलीवाल ने बताया कि मरीजो की जांच के लिये सिटी डायग्नोस्टिक सेंटर तक पहुंचने के लिये रैंप के अलावा लिफ्ट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। सेकंड फ्लोर पर बनने वाले सेंटर का संचालन कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति द्वारा किया जाएगा। नगर निगम द्वारा सेंटर के लिये भवन का सेकंड फ्लोर उपलब्ध कराया जा रहा है। इस मौके पर निगम सभापति राजेश यादव, एमआईसी मेंबर अब्दुल गनी, भोला महोबिया, संजय कोहले, मनदीप भाटिया, पार्षद बृजेंद्र भारद्वाज सहित नगर निगम के अधिकारी मौजूद थे।
2006 में मंजूरी मिली, 13 साल में बना कॉम्पलेक्स, दो साल में नहीं बिकी एक भी दुकान
आपको बता दें कि नलघर कॉम्पलेक्स का निर्माण करने की योजना 2006-07 में तत्कालीन महापौर सरोज पांडेय के कार्यकाल में बनाई गई थी। योजना के लिये शासन से राशि मिलने के बाद 2010 में इसका निर्माण शुरू किया गया। कछुआचाल से इसका काम होने के कारण 2019 में नलघर काम्पलेक्स का निर्माण पूरा हुआ। पिछले दो साल के दौरान कॉम्पलेक्स की दुकानें बेचने कई बार प्रक्रिया शुरू की गई लेकिन एक भी दुकान नहीं खरीदी गई। खाली पड़े नलघर कॉम्पलेक्स का उपयोग करने अब सेकंड फ्लोर पर सिटी डायग्नोस्टिक सेंटर खोला जा रहा है।
कई वरिष्ठ पार्षदों ने किया था नलघर कॉम्पलेक्स प्रोजेक्ट का विरोध
नलघर परिसर में कॉम्पलेक्स निर्माण कार्य का विरोध कई वरिष्ठ पार्षदों ने किया था। कॉम्पलेक्स निर्माण का प्रोजेक्ट तैयार करने के बाद से इसके भूमिपूजन तक कई बार तत्कालीन वरिष्ठ पार्षदों ने उस समय प्रस्तावित कॉम्पलेक्स को अनुपयोगी बताया। पार्षदों का कहना था कि यहां पर कॉम्पलेक्स निर्माण करने की कोई तुक नहीं है। पार्षदों का कहना था कि यहां पर कॉम्पलेक्स निर्माण करना उचित नहीं है। इसके बावजूद पूर्व महापौर सरोज पांडेय, डॉ शिवकुमार तमेर और चंद्रिका चंद्राकर के कार्यकाल में इस प्रोजेक्ट की फाइल बंद नहीं हुई। निर्माण कार्य पूरा होने के दो साल बाद प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले वरिष्ठ पार्षदों की बात सही साबित हो गई। दो साल से ज्यादा समय बीतने के बावजूद कॉम्पलेक्स की एक भी दुकान नहीं बिक पाई है।