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कोरोना से भयंकर जंग में … हिम्मत नहीं हारते … ” हमर दुर्ग ” के ये हीरो

लॉकडाउन के बाद शहर का हाल जानने सुबह 7 बजे विधायक अरूण वोरा अपनी कार चलाते हुए घर से निकले। मध्य ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अलताफ अहमद को साथ लिया। शहर के अलग-अलग हिस्से का जायजा लेते रहे। सड़कों पर खरीदारी  करने निकले लोगों से मुलाकात की। फुटपाथ पर या बंद दुकानों के सामने बैठे असहाय और बेसहारा लोगों से पूछा कि भोजन मिलने में कोई परेशानी तो नहीं है। आम लोगों से बिना कारण घर से न निकलने की अपील भी की। वोरा कांग्रेस कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं को नसीहत देते रहे कि हमर दुर्ग में कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे।    

द सीजी न्यूज

सड़कों पर सन्नाटा है … सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के दफ्तर बंद हैं … रोज कमाकर खाने वाले मजदूरों का काम बंद … 90 फीसदी से ज्यादा दुकानें बंद … होटल, चाय-नाश्ते के ठेले, खोमचे भी बंद … ट्रेन, बस, टैक्सी बंद … आम आदमी बेहद जरूरी काम से ही घर से बाहर निकल रहे हैं।

… सड़कों पर पसरे इस डरावने सन्नाटे के बीच चंद लोग सड़कों पर घूम रहे हैं … जरूरतमंद लोगों को भरपेट भोजन देने वाले, उनकी मदद करने वाले इन लोगों पर कोई पाबंदी नहीं है …  ये तमाम लोग साधारण इंसान हैं लेकिन इस मुश्किल घड़ी में उनका रोल बदल गया है …  शहर में ये नेकी के फरिश्ते बनकर उभरे हैं … इन पर कोई पाबंदी नहीं लगा सकता … क्योंकि ये इंसानियत और सेवा भाव के साथ लोगों की मदद कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के तमाम शहरों, कस्बों, गांवों की तरह दुर्ग शहर में भी गरीबों की मदद के लिए लोग लगातार जुड़ रहे हैं। लोगों को भोजन मुहैया कराने कोई रकम दान कर रहा है तो कोई खुद भोजन तैयार कर सेवा के मिशन में जुटा है। कई लोग भोजन पका कर लोगों को पैकेट बांट रहे हैं तो कई लोग कच्ची सामग्री, सब्जी के पैकेट जरूरतमंद लोगों के घर तक पहुंचा रहे हैं। कोई मुफ्त में मास्क बांट रहा है तो कोई लोगों की जरूरत का सामान उनके घरों तक पहुंचा रहा है।

और,,, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पूरे सिस्टम पर नजर रख रहे हैं। कहीं कोई भूखा तो नहीं। कोई परेशान तो नहीं। सरकारी योजना का लाभ जरूरतमंद लोगों को मिल रहा है या नहीं, यह सब देखने के लिए और … सिस्टम को सुधारने के लिए लगातार दिनरात मेहनत कर रहे हैं। अस्पताल में होने वाले इलाज करने वाली टीम से लेकर गरीबों को भोजन वितरण और दूसरी जरूरतों को पूरा करने में नेकी के इन फरिश्तों का अहम रोल हैं।   

 हर परेशानहाल से इंसानियत के रिश्ते बना रहे हैं नेकी के फरिश्ते 

जिला चिकित्सालय दुर्ग के परिसर में संचालित सांई प्रसादालय –  जिला अस्पताल में भर्ती गरीब मरीजों के परिजनों को यहां के कर्ताधर्ता मुकेश तिवारी पिछले 8 साल से मुफ्त में दो बार भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद विधायक अरूण वोरा और महापौर धीरज बाकलीवाल के सहयोग से गरीबों की सेवा को नया आयाम मिला। अब यहां रोज भोजन के एक हजार पैकेट तैयार कर न सिर्फ मरीजों के परिजनों बल्कि कई वार्डों में रहने वाले बेसहारा, बेघर और गरीब तबके के लोगों को दिया जा रहा है।

गुरूद्वारे के लंगरखाने में हर दिन बनते हैं भोजन के सैकड़ों पैकेट – परेशानहाल लोगों की मदद के लिए सीरिया युद्ध के पीड़ितों से लेकर दिल्ली के दंगाईयों से उजड़ी जिंदगियां संवारने की कोशिश करने वाली जिंदादिल कौम ने एक बार फिर मोर्चा संभाल लिया है। मोर्चा है भूख के खिलाफ। इनकी इंसानियत का जज्बा एकदम अनूठा है। दुर्ग रेलवे स्टेशन के करीब गुरूद्वारा के लंगरखाने में भी ऐसा ही जज्बा देखा जा सकता है। सिख समाज के लोग यहां भूखों और जरूरतमंद लोगों के लिए रोज भोजन के सैकड़ों पैकेट तैयार करते हैं। फिर लोगों को भोजन के पैकेट बांटे जाते हैं।

मदद के लिए मुस्लिम समाज की मुहिम – लॉक डाउन के दूसरे दिन रेलवे स्टेशन पर भूख से परेशानहाल लोगों के लिए मुस्लिम समाज ने सबसे पहले तकियापारा के घर-घर से भोजन इकट्‌ठा किया। भोजन के पैकेट देकर मजदूरों की भूख मिटाई। इसके बाद शहर के अलग अलग हिस्से में लगातार भोजन के पैकेट दिए जा रहे हैं। यहां के समाजसेवी नासिर खोखर ने सैकड़ों लोगों को सब्जियों का मुफ्त वितरण किया है। नगर निगम के एमआईसी मेंबर अब्दुल गनी, अनीस रजा सहित अन्य नौजवानों ने आपस में सहयोग कर सैकड़ों लोगों के घरों में सूखे राशन के पैकेट भी बांटे। ये काम लगातार चल रहा है।

पिछले 3 साल से दुर्ग शहर में जन सर्मपण सेवा संस्था द्वारा बेघर, गरीब, असहाय लोगों को रात के समय निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जा रही है। कोरोना वायरस संक्रमण की महामारी के कारण अब दिन में दो बार भोजन बांटा जा रहा है। रोज करीब दो सौ लोगों को भोजन के साथ पानी की बोतल भी बांटी जा रही हैं। मानवसेवा के इस मिशन में विजय अग्रवाल, मुरारी भूतड़ा, अशोक राठी, उमेश शर्मा, कैलाश रूंगटा, राकेश मिश्रा, प्रवीण भूतड़ा, सुरेश गुप्ता, रघुनंदन उजाला, राजेंद्र शर्मा, राजेन्द्र साहू, आशुतोष सिंह, अनिल पंडा, रमेश राठी, कृष्णा दुबे, राजेश यादव, विनीत जैन, राजेश शर्मा, लुनिया जी, गौतम जैन, राधेश्याम अग्रवाल, विमल सेक्सरिया, अमरजीत कौर विरदी, लोकेश सोलंकी, नरेंद्र गुप्ता का सहयोग मिल रहा है।

लॉक डाउन के बाद से युवा स्वाभिमान मंच के प्रदेश संयोजक रऊफ खान के नेतृत्व में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गरीब परिवार को घर-घर जाकर राशन के पैकेट दिए जा रहे हैं। घर पर परिवार के सदस्यों के साथ पैकेट तैयार करने के बाद रऊफ अपने साथियों के साथ अलग-अलग स्लम बस्तियों में जाते हैं और दाल, आटा, शक्कर, सब्जियों के अलावा अन्य जरूरी सामान के पैकेट सैकड़ों लोगों के घरों तक पहुंचाते हैं।

वाट्सअप ग्रुप “रक्षक” में कई शहरों के लोग जुड़े हैं। इस ग्रुप ने लॉक डाउन के फौरन बाद जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था का काम शुरू कर दिया। पुराना बस स्टैंड स्थित दरगाह के खानकाह में रोज करीब 5 सौ से ज्यादा भोजन के पैकेट या सूखे राशन के पैकेट बना कर गरीबों और मजदूर परिवारों को बांटे जा रहे हैं। ग्रुप के अजहर जमील, फ़ज़ल भाई, राजेश सराफ, अजय गुप्ता, मनीष गौतम, आबिद, आनंद बोथरा, टीपू, गोलू चौहान, राजू खान इस अभियान में लगातार भागीदारी निभा रहे हैं।

सिस्टम से जुड़े लोगों ने दिखाया गजब का जज्बा 

ज्यादातर सरकारी दफ्तर बंद हैं। लेकिन, अनिवार्य सेवा से जुड़े दफ्तर अभी भी चल रहे हैं। कोरोना के खतरे के बावजूद मेडिकल सेवा से जुड़े डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्नीशियन से लेकर अस्पतालों में सफाई करने वाले कामगारों ने कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में अहम भूमिका निभाई है। शहर की सफाई, पानी सप्लाई सहित बिजली सप्लाई और अन्य जरूरी सेवाएं देने वाला अमला लगातार सक्रिय है। संभागायुक्त, कलेक्टर सहित जिला प्रशासन के तमाम अफसर और कर्मचारी, पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से लेकर सड़कों पर डंडा चमकाते पुलिस जवानों तक सरकारी सिस्टम के इन जिम्मेदारों ने गजब का जज्बा निभाया है।

कोरोना का कहर कब तक बरपेगा, कहना मुश्किल है। लेकिन एक बात तय है। सरकारी सिस्टम और समाजसेवकों के रूप में काम करने वाले तमाम लोगों की सेवा जारी रहेगी …। यह भी तय है, कि कोरोना से हो रही भयानक जंग में समाज के ये हीरो नहीं हारेंगे। यह भी तय है कि नेकी के फरिश्ते ही जीतेंगे। हम सबका रब … इन समाजवीरों का हौसला बनाए रखे … आमीन।

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