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कोरोना संकट की विषम परिस्थिति में भी दिन भर सक्रिय रहने वाले वोरा का विपक्ष को जवाब, जनसेवा करना पहली प्राथमिकता

  • जरूरतमंद परिवारों को राशन, भूखों को भोजन देने के साथ शहर की हर व्यवस्था पर रखते हैं पैनी नजर
  • पानी सप्लाई, सफाई व्यवस्था, सेनिटाइजेशन से लेकर शहरवासियों को बेहतर सुविधाएं देने लगातार सक्रिय

द सीजी न्यूज

कोरोना के वैश्विक संकट के दौर में भी दिन भर सक्रिय रहने वाले विधायक अरूण वोरा लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद परिवारों को राशन और गरीबों को भोजन की हरेक व्यवस्था पर पैनी नजर रख रहे हैं। आम जनता के बीच सोशल डिस्टेसिंग रखने और लॉकडाउन के नियमों का पालन करने नागरिकों को लगातार समझाईश देने के साथ ही वोरा शहर की जन समस्याओं का निराकरण करने लगातार सक्रिय हैं।

वोरा की सक्रियता के कारण गरीब परिवारों को भोजन, राशन व अन्य आवश्यक सेवाएं आसानी से मुहैया हो रही हैं। वोरा के इन कार्यों को आम जनता से प्रशंसा मिल रही है। दूसरी ओर वोरा की सक्रियता से परेशान विपक्षी नेता उन पर श्रेय की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में राशन के थैले को लेकर भी विपक्ष ने शोर मचाया। हालांकि विपक्ष के आरोपों को आम जनता ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।

श्रेय की राजनीति के आरोपों पर विधायक अरुण वोरा ने दो टूक कहा कि जनता की सेवा करना उनकी पहली प्राथमिकता रही है और भविष्य में भी रहेगी। जनसेवा करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। वोरा ने कहा कि वरिष्ठ राजनेता मोतीलाल वोरा ने 50 साल पहले दुर्ग को कर्मभूमि मानकर सादगी से जनसेवा के जिस अध्याय की शुरुआत की, उसी रास्ते पर वे आगे बढ़ रहे हैं। वोरा ने कहा कि बिना वजह आरोप लगाने वाले वाले लोग जमीनी स्तर पर कुछ नहीं कर रहे हैं। विपक्ष का आरोप उनकी गलत मानसिकता को प्रदर्शित करता है।

वोरा ने कहा है कि मानव सेवा ही माधव सेवा है। संकट के दौर में वे जनसेवा के कार्यों में जुटे हैं। शहरवासियों की सेवा करना उनका फर्ज है, जिसे वे पूरा कर रहे हैं। वोरा ने कहा कि शहर में दानवीरों के साथ ही शासन- प्रशासन, निगम प्रशासन व्यवस्थित रूप से राशन व पका भोजन बांटने में अहम भूमिका निभा रहे है। वे स्वयं पका व सूखा राशन जरुरतमंदों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह प्रयत्नशील रहते हैं।

वोरा ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि व्यवस्थाओं को सुधारने और समस्या सुलझाने में शासन-प्रशासन स्तर पर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। राजनीति करने पूरी उम्र पड़ी है, लेकिन संकट के इस दौर में मदद के लिए उठें हाथों को कहीं भी निराश न होने देना ही सच्चे जनप्रतिनिधि का कर्तव्य है। वे इस कर्तव्य का पालन करते रहेंगे।

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