- प्रगतिशील लेखक संघ ने जयंती पर किया संगोष्ठी का आयोजन
द सीजी न्यूज डॉट कॉम
भिलाई / छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ भिलाई-दुर्ग के तत्वावधान में कालजयी साहित्यकार विश्व कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन सेक्टर 10 काफी हाउस में किया गया। इस अवसर पर प्रेमचंद और आज का किसान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। छग प्रलेसं अध्यक्ष मंडल सदस्य व्यंग्यकार रवि श्रीवास्तव ने अध्यक्षता की। प्रमुख वक्ता छग प्रलेसं के अध्यक्ष व कथाकार लोकबाबू और साहित्यकार प्रोफेसर थानसिंह वर्मा थे।
अध्यक्षीय उद्बबोधन में रवि श्रीवास्तव ने कहा कि कथा सम्राट प्रेमचंद कलम के किसान हैं। स्वतंत्रता के पूर्व जितने भी किसान आंदोलन हुए, उनका प्रभाव कलम के सिपाही के उपन्यासों और कहानियों पर पड़ा। उन्होंने कर्मभूमि, रंगभूमि और भारतीय किसान की आत्मा गोदान जैसा कालजयी उपन्यास हिंदी साहित्य जगत को दिया।
प्रमुख वक्ता लोकबाबू ने कहा कि प्रेमचंद की प्रासंगिकता आज पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। आज गोदान और कफन की तरह किसान अपने ही खेत में मजदूर हो रहे हैं। अपने हक की आवाज उठाने वाले किसानों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों के लिए कुचला जा रहा है। प्रेमचंद ने कहा था जनप्रेम ही सबसे बड़ी देशभक्ति है।
प्रमुख वक्ता प्रोफेसर थानसिंह वर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी और प्रेमचंद ने स्वतंत्रता आंदोलन को किसान आंदोलन से जोड़ा। अपने रंगभूमि उपन्यास में उन्होंने किसानों के भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था। आज किसान अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है जिसे पोछने के लिए हमें प्रेमचंद की राह पर चलना होगा।
शिक्षाविद प्रोफेसर डीएन शर्मा ने कहा कि प्रेमचंद ने जिस तरह किसानों और वंचितों के शोषण और संघर्ष पर लिखा, वैसा साहित्यकार देश में कोई दूसरा नहीं हुआ। किसानों के लिए पहले से ज्यादा आज विकराल समय है। पूर्व प्राचार्य शिक्षाविद प्रोफेसर एचएन दुबे ने कहा कि प्रेमचंद के समय के किसान से अधिक आज के किसान बेबस और पीड़ित हैं। उनके साहित्य के यथार्थ के माध्यम से ही हमें समाज में चेतना जगानी होगी।
इस अवसर पर रिटायर प्राचार्य डां. कोमल सिंह सार्वा, विनोद कुमार सोनी, योगेंद्र शर्मा, वनिता सार्वा आदि साहित्यकारों ने भी प्रेमचंद के कृतित्व व व्यक्तित्व पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन छग प्रलेसं भिलाई दुर्ग के अध्यक्ष परमेश्वर वैष्णव और आभार प्रदर्शन विमल शंकर झा ने किया।