और फिर,,, शहर की फिजाओं में प्रेम सद्भाव और एकता की खुशबू महकने लगी।
रविवार को सिखों के धर्मगुरु श्री गुरूनानक देव के 550 वें प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरुद्वारा श्री गुरुसिंग सभा से भव्य नगर कीर्तन निकाला गया। इधर जामा मस्जिद दुर्ग से पैगम्बर हजरत मोहम्मद की यौमे पैदाइश के मौके पर जुलूसे मोहम्मदी निकला। एक खास वक्त पर दोनों समाजों के जुलूस एक ही मार्ग पर थे। दोनों जुलूस के बीच बस एक डिवाइडर था।यही वो समय था जब पूरे शहर को साम्प्रदायिक सद्भावना की वो मिसाल देखने मिली जिसे वर्षों तक याद रखा जाएगा। यहां मुस्लिम समाज के लोगों ने पंज प्यारों का स्वागत फूलों का हार पहनाकर किया। सिख समाज के लोगों ने मुस्लिम समाज के लोगों का स्वागत किया। एक दूसरे को मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो गया। इस दौरान तबर्रूक (प्रसाद ) भी तकसीम किया गया।डिवाइडर के दोनों ओर दोनों समाजों के जुलूस आगे बढ़ते रहे और दोनों समाजों के लोग डिवाइडर पर एक दूसरे से हाथ मिलाकर एक दूसरे को बधाई देते रहे। शहर में दोनों समाजों के भाईचारे, सद्भाव और एकता की नई मिसाल की समाज के सभी वर्गों ने सराहना की। आज दिन भर पूरे शहर में इसकी चर्चा रही।