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विख्यात माइनिंग अधिवक्ता विनोद चावड़ा का निधन : रावघाट को प्राइवेट सेक्टर के हाथों में जाने से बचाने में दिया था अहम योगदान

  • निजी कंपनियों को रावघाट खदान सौंपने का फैसला हो चुका था
  • रमन सरकार को पलटना पड़ा फैसला

द सीजी न्यूज डॉट कॉम 

रावघाट को प्राइवेट कंपनियों के हाथों बिकने से से बचाने वाले माइनिंग से संबंधित मामलों के प्रसिद्ध वकील विनोद चावड़ा का निधन हो गया। वे रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती थे। हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनके स्वास्थ्य का हाल जानने अस्पताल गए थे। आज उनका निधन हो गया। रावधाट को निजी हाथों में जाने से बचाने में विनोद चावड़ा का बड़ा योगदान रहा है।

चावड़ा के प्रयासों के कारण ही आज बीएसपी को काफी सहजता से रावघाट में खनन का अवसर मिल गया है। सन 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निर्देश पर मध्यप्रदेश शासन ने अधिसूचना के माध्यम से रावघाट के समूचे लौह अयस्क भंडारों को भिलाई इस्पात संयंत्र जैसे सार्वजनिक उपक्रम के लिए सुरक्षित कर दिया था। बाद में राजहरा के खत्म हो रहे लौह अयस्क भंडारों के परिणामस्वरूप भिलाई इस्पात संयंत्र ने 1985 में तत्कालीन मध्यप्रदेश राज्य शासन के समक्ष रावघाट के संपूर्ण लौह अयस्क भंडारों की विधिवत मांग शुरू की।

लेकिन सन 2003-04 तक तत्कालीन छत्तीसगढ़ राज्य शासन, भिलाई इस्पात संयंत्र, स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड, केंद्र सरकार के इस्पात मंत्रालय व खान मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारियों और संबंधित विभागीय मंत्रियों की सामूहिक अदूरदर्शिता के कारण रावघाट के बेशकीमती लौह अयस्क भंडारों को निजी इस्पात कंपनियों को कानूनन आबंटित करने के लिए केन्द्र शासन द्वारा अनुमोदन प्रदान किया जा चुका था। जिसके कारण आयरन ओर के अभाव में भिलाई इस्पात संयंत्र का भविष्य खतरे में पड़ने लगा।

सन 2004-05 में मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के ख्यातिनाम खनिज कानूनों के विधि विशेषज्ञ दुर्ग निवासी विनोद चावड़ा ने शासन और निजी कंपनियों के इस अनैतिक गठजोड़ को दस्तावेजी प्रमाणों सहित तत्कालीन छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष भूपेश बघेल के समक्ष उजागर किया। इसके बाद भिलाई इस्पात संयंत्र को बर्बाद करने वाले इस षड़यंत्र को खत्म करने का आंदोलन शुरू कर दिया गया।

इस आंदोलन की आग दुर्ग-भिलाई से फैलते हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा और संसद तक फैलती गई। तत्कालीन इस्पात राज्यमंत्री अखिलेश दास ने 18 जून 2006 को भिलाई आकर पूरे षड़यंत्र की सीबीआई जांच कराने की घोषणा की। इसके बाद आनन-फानन में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने रावघाट के लौह अयस्क भंडारों को निजी कंपनियों को देने के अपने पूर्व के निर्णय को पूरी तरह से पलटते हुए लौह अयस्क भंडारों को वापस भिलाई इस्पात संयंत्र को देने की अनुशंसा केन्द्र सरकार को भेज दी। इस प्रकार प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मित्र व खनिज विषयों के सलाहकार विनोद चावड़ा (एडव्होकेट) के अथक प्रयासों से रावघाट के लौह अयस्क भंडार बीएसपी को वापस मिल गए।

अधिवक्ता विनोद चावड़ा के इस अनूठे योगदान को देखते हुए 2 फरवरी 2007 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के उपनेता भूपेश बघेल ने उन्हें “रावघाट के योद्धा” के रूप में सार्वजनिक तौर पर सम्मानित किया। इसके बाद भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने 14 नवंबर 2010 को व्यक्तिगत श्रेणी में इकलौते “भिलाई मित्र” का सम्मान दिया है। भिलाई का भविष्य सुरक्षित रखने के इस अनूठे योगदान के चलते 3 मई 2018 को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने संयुक्त रूप से विनोद चावड़ा को विधि के क्षेत्र में “सर्टिफिकेट आफ एक्सीलेंस” से रायपुर में सम्मानित किया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले साल एक नवंबर 2020 को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर “बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल सम्मान” से विनोद चावडा को राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित किया। विनोद चावडा भिलाई इस्पात संयंत्र के खनन मामलों के सलाहकार भी थे। उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है। 

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